कश्मीर में स्कूली परीक्षाएं शुरू, कई इलाकों में झड़प

बंद के ताज़ा आह्वान के बीच कश्मीर घाटी और जम्मू के विंटर ज़ोन में मंगलवार से वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो गईं. इस बीच यूरोपीय संघ के सांसदों का एक प्रतिनिधि मंडल दो रोज़ के ग़ैर-सरकारी दौरे पर कश्मीर पहुंच गया है.
कश्मीर घाटी में कम से कम 65 हज़ार परीक्षार्थियों के उपस्थिति होने की उम्मीद है, जबकि जम्मू के विंटर ज़ोन में 23,923 छात्र 10वीं की परीक्षाएं दे रहे हैं.
12वीं की परीक्षाएं आज यानी 30 अक्तूबर से शुरू हो रही हैं.
परीक्षा के पहले दिन श्रीनगर में परीक्षा केंद्रों के बाहर कुछ अभिभावकों ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि सरकार ने बच्चों को परीक्षा केंद्र तक लाने की कोई व्यवस्था नहीं की है.
अली कदल में एक स्कूल के बाहर इंतज़ार करते मोहम्मद रमज़ान ने बीबीसी के सहयोगी माजिद जहांगीर से कहा कि वो अपने घर से सुबह 9 बजे निकले लेकिन परीक्षा केंद्र पर पहुंचने में उन्हें क़रीब 3 घंटे लग गए. उन्होंने बताया कि परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के लिए उन्हें कोई सार्वजनिक वाहन नहीं मिला.
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें रास्ते में जगह जगह झड़पों के निशान देखने को मिले.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक मंगलवार को कश्मीर में सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में कम-से-कम चार लोग घायल हो गए.
पीटीआई के मुताबिक पुलिस अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच शहरी इलाकों समेत कश्मीर में कई जगह झड़पें हुई, जिसमें चार लोग घायल हुए.
अंतिम प्राप्त सूचना के मुताबिक शहर में कई जगहों पर और घाटी में कुछ अन्य स्थानों पर झड़प की घटनाएं हुईं.
कोठी बाग इलाके में एक स्कूल के बाहर खड़े एक अन्य अभिभावक ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि उन्हें भी ऐसी घटनाओं के संकेत देखने को मिले. उन्होंने बताया कि उन्हें भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं मिले.
जम्मू-कश्मीर सरकार ने अक्तूबर के अंत में 5वीं से 12वीं तक की परीक्षाओं के आयोजन की घोषणा की थी. कई लोगों के कहना था कि छात्रों को स्कूलों में वापस लाने के लिए ऐसा किया गया लेकिन सरकार के इस कदम से पेरेंट और स्टूडेंट्स में चिंताएं बढ़ गईं.
उत्तर कश्मीर के सरकारी हाई स्कूल की 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले पीरज़ादा शोएब कहते हैं, "हम अपनी सिलेबस का 50 फ़ीसदी से भी कम पढ़ सके हैं. फिजिक्स में तो हमने 10 में से केवल तीन चैप्टर ही पढ़े हैं. केमिस्ट्री में 15 चैप्टर हैं और इनमें से केवल छह ही पूरे हुए हैं, बायोलॉजी में भी यही हालत है. अब भला हम कैसे अपनी परीक्षाएं दें?"
जब भारत ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म किया तो भारत प्रशासित कश्मीर में 5 अगस्त से ही सभी स्कूल, कॉलेज बंद थे.
तब से कश्मीर में पूरी तरह से शटडाउन देखा गया, मोबाइल फ़ोन 2 महीने से अधिक बंद रहे, घाटी में इंटरनेट आज भी नहीं चल रहे हैं, साथ ही अधिकांश बिजनेस प्रतिष्ठान भी पूरी तरह बंद हैं.
सरकार ने 29 अक्तूबर से 10वीं और 12वीं के समूचे सिलेबस पर आधारित परीक्षा की घोषणा कर दी जबकि कश्मीर में अधिकांश स्कूलों को अपना पाठ्यक्रम पूरा करना अभी बाकी है.
श्रीनगर के प्राइवेट स्कूल में 11वीं की छात्र सुज़ैन कहती हैं, "बीते 75 दिनों के दौरान मैंने कुछ नहीं किया, वास्तविकता यह है कि बंद से पहले स्कूलों में ज़्यादा पढ़ाई नहीं पूरी हुई थी तो बंद के दौरान हमारे पास रीविज़न के लिए कुछ खास नहीं था."
"हमारे स्कूल में सिलेबस का केवल 35 फ़ीसदी ही पूरा हुआ है. 11वीं फिजिक्स की दो किताबें हैं पार्ट-1 और पार्ट-1. उस दौरान पार्ट-2 तो पूरी तरह से अछूता रहा, पार्टी-1 में भी हमें केवल पांच चैप्टर ही पढ़ाए गए हैं. इससे आपको समझ में आ जाएगा कि हमने कितनी पढ़ाई की है."
श्रीनगर में रहने वाले डॉ. रफ़त 11वीं में पढ़ने वाली उनकी बेटी की पढ़ाई को लेकर चिंतित हैं. वे कहती हैं, "मेरी बेटी ने दिसंबर में 11वीं की परीक्षा पास की थी. जनवरी, फ़रवरी में सर्दियों की छुट्टियां थीं. फिर मार्च में पढ़ाई शुरू हुईं. ऐसे में स्कूल महज 5 महीने में पूरा सिलेबस कैसे ख़त्म करते. सरकार कह रही है कि स्कूल में 80 फ़ीसदी सिलेबस पूरा हो गया है लिहाजा बच्चों को परीक्षाओं में उपस्थित होना है. यह क्या है? यही सरकार की प्रतिबद्धता है या वो वाकई हमारे बच्चों के भविष्य के बारे में चिंतित हैं? यदि आप चिंतित हैं तो आपको यह निर्धारित करना चाहिए था कि स्कूल 80 फ़ीसदी सिलेबस पूरा करें. यह समूची शिक्षा प्रणाली का मज़ाक है. छात्रों ने जो कुछ भी पढ़ाई की वो अपने घरों में की है."
बीते सात वर्षों से कश्मीर घाटी में शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े कश्मीर में एक प्राइवेट स्कूल में प्रिंसिपल मुताहिर ज़ुबैर कहते हैं, "जब हम एक सेशन शुरू करते हैं तो शुरुआती कुछ महीने पढ़ाई थोड़ी की गति थोड़ी धीमी होती है. हालांकि बाद में यह तेज़ होती जाती है और अंतिम तीन महीनों के दौरान यह अपेक्षाकृत कहीं अधिक तेज़ होती है. लेकिन हमनें छात्रों से वो तीन महीने छीन लिए हैं और अब उनसे पूरे सिलेबस पर आधारित परीक्षा में बैठने की उम्मीद कर रहे हैं."
मुताहिर कहते हैं कि ऐसी स्थितियों में परीक्षा आयोजित करना महज़ औपचारिकताएं पूरी करना है. क़ानूनी तौर पर 180 से अधिक वर्किंग डे होने चाहिए, मुझे नहीं लगता कि हमारे बच्चों को 150 दिन भी नहीं मिले हैं.
भारत प्रशासित कश्मीर में परीक्षा के इस सेशन में 10वीं, 12वीं के लगभग 1,60,000 छात्र बैठने वाले हैं.
5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के बाद, इनमें से अधिकांश स्कूल नहीं गए हैं.
हालांकि सरकार ने स्कूलों को 19 अगस्त से 8वीं तक और बाद में 12वीं तक के छात्रों के लिए खोलने के आदेश दे दिए थे, लेकिन छात्र स्कूलों में न के बराबर आए.
आज भी अधिकांश स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति शून्य के बराबर ही रही.
मध्य कश्मीर के बडगाम ज़िले की पलाज़ नाज़ कश्मीर के एक प्रमुख निजी स्कूल में पढ़ती हैं. वे कहती हैं, "सरकार ने कहा है कि स्कूल छात्रों के लिए खुले हैं. उन्होंने केवल कहा है लेकिन यहां इसे लागू नहीं किया गया. अभिभावकों के लिए ट्रांसपोर्ट मुहैया नहीं है और पेरेंट अपने बच्चों की ज़िंदगी दांव पर नहीं लगाना चाहते. हर तरफ सेना खड़ी है, आप यह सुनिश्चित नहीं कर सकते कि क्या होने जा रहा है."
5 अगस्त से पलक दो बार असाइनमेंट लेने स्कूल गई थीं लेकिन इस बार यह आसान नहीं था. वह कहती हैं, "मुझे लगता है कि उस दिन 3 अक्तूबर था जब कुछ लड़के हमारे स्कूल में घुस आए और शिक्षकों को यह सब बंद करने की धमकी दी थी."
पलक अब चिंतित हैं और कहती हैं, "बीते दो महीने हम अपने घरों से बाहर नहीं निकले, संचार का कोई माध्यम नहीं था, यह भयानक था, मैं सोचती थी कि अब आगे क्या होगा. मैं डॉक्टर बनना चाहती थी लेकिन अब नहीं पता कि क्या होगा. कितनी प्रतिस्पर्धा है आप तो जानते ही हैं. फिर पेरेंट का दबाव और उम्मीदें भी हैं. हमारी पढ़ाई और सब कुछ सभी पूरी तरह से प्रभावित हैं. मैंने लोगों को सड़कों पर लिफ्ट के लिए दूसरों से गुहार लगाते देखा, यहां कोई ट्रांसपोर्ट तक उपलब्ध नहीं है. ऐसा लगता है कि ज़िंदगी पूरी तरह से रुक गई है."
हालांकि सरकार ने स्कूलों को खोलने का आदेश तो दे दिया है लेकिन कॉलेज और यूनिवर्सिटी अब भी बंद हैं.

Comments

Popular posts from this blog

ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा, घर में होगी धनवर्षा

प्रेस रिव्यू: पुणे पुलिस की 10 और लोगों को गिरफ़्तार करने की योजना थी

استخدم الباحثون جسيمات الذهب للتحقق من وجود تراكمات للجسيمات الدقيقة في أجزاء أخرى من الجسم